Tuesday 3 November 2009

This too shall pass..


दिल की खामोशी एक शोर सा मचाती है, 
सन्नाटे से भी ज्यादा , ये आवाज़ सताती है | 
वाचाल जिव्हा जब निशब्द रह जाती  है , 
विचारों की श्रृंख्ला कहकहे लगाती है ||



स्थिर पानी के प्याले में , 
इक बूँद हलचल मचाती है| 
तरंगे करवट लेकर , 
फिरसे सो जाती है||



सूरज की गर्म किरने जब , 
दिन में तपिश बरसाती है| 
शर्म से लाल होकर , 
एक सुहानी शाम दे जाती  है| 




टूटा आशियाँ देख , 
चिडिया कब शोक मानती है | 
बारिश के अंदेशे से , 
फिर तिनका  लेने उड़ जाती है || 



अंतहीन सागर में जब , 
कश्ती कहीं खो जाती है |
उसे गुमाने वाली लहरें ही ,
किनारे पे छोड़ जाती हैं || 


ज़िन्दगी मीठा सा दर्द देकर, 
एक हूंक सी जगाती है |
फिर बीते लम्हों को याद कर, 
खुद मंद -मंद मुस्कुराती है||

-अंजली गोयल
1-Nov-09



7 comments:

Unknown said...

Wonderful poem :)

chetan said...

good one.. rather a gr8 one.. keep writing :)

Unknown said...

Too good Anjali. Keep writing.

Unknown said...

Too good Meera, atleast I did not know about this talent of yours.

Aadi said...

Aisi hindi......taaliyan

A2 said...

I like!!

PANKAJ said...

hello